Tuesday, September 25

मैंने सोचा है
तुझे लम्हों में
हर पल, हर सुबह, हर शाम |

तुझे देखा है
ख्वाबों में
भोली, चंचल, कोमल सी
जैसे पहली बार मिली थी मुझसे
तू अजनबी, जुदा, बिलकुल अनजान |

मैं सोचता हूँ
आज भी
शिद्दत से तुझे
जैसे गहराइयों से मेरे दिल की
सिर्फ उठे है तेरा नाम |

मैं जानता हूँ
ये जो दूर से दिखते हैं
दो किनारों के मंजर,
धरती और अम्बर
नहीं मिलते हैं जीवनभर |

फिर भी चाहता हूँ
तुझे मैं
बेझिझक बेइनतहां
मोहब्बत की गुलपोश धरती पे
मिटाके अपना नामोनिशान |

'शशांक'

Sunday, September 23

एक नज़र की तमन्ना में सदियों बिताये चला हूँ,
मैं बेपरवाह 'इश्क' से मुकद्दर जलाये चला हूँ |
सूखी स्याही उसमें अहसासों की कब से
मैं फिर भी कतरों की आस लगाये चला हूँ |

'शशांक'
ऐसे ही हम भला क्या
बूंदों की किस्मत से जल जाते हैं
कि जब छूती है बारिश उनको
माशा'अल्लाह वो और निखर आते हैं |

'शशांक'

Friday, September 14

क्या बोलूं 'खुदा' उनसे ?
या कह डालूं मैं 'जान'
जो पूछे दुनिया मुझसे
है क्या तेरी महबूबा का नाम !

'शशांक'

Tuesday, September 11

चले हैं खून से लिखने इतिहास के पन्ने
जवां मोहब्बत का वैसे भी सुर्ख इतिहास हुआ है |

'शशांक'
इजहार भी नहीं, इनकार भी नहीं
बस उलझन में रहती हो
कहीं ऐसा तो नहीं तुम
अब भी रुसवाइओं से डरती हो |

'शशांक'
वो इजहार भी बड़े तकल्लुफ से करते हैं
हाय! उनकी इसी अदा पे तो हम मरते हैं |

'शशांक'
वो जरा जरा सा उनका देखना बहाने से
कहीं क़यामत न ला दे ज़माने पे ||

'शशांक'
नामुमकिन अगर वफ़ा हो तो बेवफाई भी कबूल है
तेरी मोहब्बत में दोजख की चारपाई भी कबूल है !

'शशांक'

Monday, September 10

'देश बदलेंगे'

'देश बदलेंगे'
है प्रचलन में काफी ये नारा
सबके करीब, सबको प्यारा
जैसे हो देश बदलना धर्म हमारा !

देख आन्दोलन करते लोगों को
खुश बहुत भारत माता
पर सवाल है अब भी उसका
फर्क नहीं जिनपर अनपढ़, गरीब, बेचारों का
क्या असर पड़ेगा उनपर नए-नए प्रावधानों का !


देश जो बनता है लोगों के मिलने से
वो कैसे बदलेगा केवल कानूनों के सविंधान में जुटने से
है दम तो बोलो 'हम बदलेंगे'
फिर देखो कैसे नहीं बदलता ये देश हमारा !
उठती है तमन्ना जब दिल में दीदार की
बोतल भी दिखाती उस दिन तस्वीर मेरे यार की ||

'शशांक'

Tuesday, September 4

चाहे रफीक या चाहे रकीब
दुआ उनके अब दिल से निकले जो भी
हो खुदा बस वही मुझको अज़ीज़,
हो वही बस मेरा नसीब |

'शशांक'
तबस्सुम को तस्सवुर में ही रहने दो
दुनिया देख कहीं ये भी बेगाना न बन जाये !

'शशांक'

Monday, September 3

अर्ज दिल से न हो तो इबादत कैसी
चर्चे जिसके न हो वो मोहब्बत कैसी |

'शशांक'
तसव्वुर में उनके अब ढलती हर शाम
लेके ओठों पे कभी जाम, कभी उनका नाम |

'शशांक'
शरारे आँखों में, अदाएं बातों में
थी शोखियाँ चलने में, नजाकत भी संभलने में
अब तो उफ़ याद ही नहीं
थे सबब कितने मेरे बहकने में |

'शशांक'
जन्नत खुश जितनी पाकर उसको शायद उतनी जमीं भी नहीं
बेशुबह मेरी मोहब्बत में थी शिद्दत की पूरी कमी |
'याद'

ढलता सूरज,चढ़ती रात
हर सपने में हमसफ़र 'याद'
कितना छोडो, कितना कोसो
'याद' फिर भी हमदम, हमराज़ |

मरना हो या फिर जीना
गम हो या ख़ुशी का महीना
हर पल जो रहे साथ-साथ
वो 'याद', वो 'याद' |

'याद' जरूर है बात बड़ी खास
तभी तो रखे हर कोई संजो के याद !

'शशांक'

Sunday, September 2

ना 'अदब' की तुलना 'हिजाब' से
न मेरे महबूब की महताब से |

'शशांक'
जैसे 'शब' का मुकद्दर हर रोज 'सहर'
मुझ पर भी कुछ ऐसा करे उनकी 'नज़र' |

'शशांक'
सितम ढाने के उनके भी हैं तरीके अजीब,
जो ना मिलो तो भेज देते हैं अपनी तस्वीर |

'शशांक'
भूल हमसे आज फिर बड़ी हुई है
खुदा की बंदगी उनसे पहले हो गयी है |

'शशांक'

Tharoor in a pseudo intellectual role till 2019

Mr Tharoor is a learned person...represented India in the UN ...lost the race to be its secretary general not because he was less competen...