Saturday, February 28

एहसास




ख़ुशी में भी दर्द  का एहसास क्या होता है
ये मैंने अब जाना है
जल बीच प्यास क्या होती है
ये मैंने अब जाना है
तनहइयां जो  मेरे अन्तरंग थी कभी
उन्हें खोने का एहसास क्या होता है
 ये मैंने अब जाना है।


कितने जश्न हुए जिनमें मैं भी शरीक था
शारीर साथ था पर मन कहीं दूर था
ढूंढ रहा था उस खुसी को ये
जिससे हर पल ये वंचित हर पल दूर था।




क्या यूँही भटकता रह जायेगा चंचल  मन
जिंदगी की तलाश में
या कोई झरना मिल जायेगा
बुझाने मन की प्यास को।



जिंदगी तो अब तक अधूरी ही लगी है
पतझड़ के पेड़ों की तरह
हलकी खोखली दिखी है
पर कोशिश है यही अब तक
बहर दूँ अपने अधूरेपन एहसास को
मन की प्यास को
कुछ कर गुजरने की छह से।

Tharoor in a pseudo intellectual role till 2019

Mr Tharoor is a learned person...represented India in the UN ...lost the race to be its secretary general not because he was less competen...