Friday, September 12

सपने सच नही होते

देखा था सपनो में कभी,
वो एक ख्वाब तुझे अपना बनाने का,
तेरे लिए सारा जग भुलाने का,
तेरी मुस्कान पर मर मिट जाने का,
खुशियों से तेरा दामन सजाने का॥


पर, तू मेरी न हुई,
मेरे अरमानों की तुने कोई क़द्र न की,
एक पथ पर होकर भी
तू किसी और मंजिल को मुड़ गई॥


अब सोचता हूँ,
लिख दूँ अपने जज्बात सारे
जो तेरे प्यार में उठा करते थे।
लहरों सी बनकर, मन-मस्तिष्क में मेरे
बहा करते थे।

इस तरह ,
थोडी सी जो तेरी याद कम होगी,
जिंदगी मेरी गुजरने लायक होगी॥

Sunday, September 7

THE ABSTRACT IDEA

There she was. Oh my god! I couldn't hold my excitement. she was coming towards me. Her body was in fine tune. When she pressed her feet on the ground, a sizzling vibration went down in my heart.

How could she be so maddening? It was very difficult for me to understand.

Every time I saw her, she looked fresh and new.


What a nice face she had! The curves in her body were like open invitations to play.  But, she was engaged to someone else.  The whole office knew it. Only, my heart won't understand.

And now, she was so near to me that I could feel like touching her and admiring her softness.

She wanted to talk to me and I could not ask for a better thing.

Oh! Cupid struck!

She inquired about some trivial things  but I couldn’t answer. How could I, when I was in front of someone whose every part was a revelation in itself. My mind was not aware of what was going on. It just wanted to feel and explore her warmth. ...............................................................

Saturday, September 6

जब से मैं निफ्ट में आया हूँ

जब से मैं निफ्ट में आया हूँ।

दिन हसीं , रात रंगीन बनाया हूँ।

यारों संग खूब ठुमके लगाया हूँ।

जब से मैं निफ्ट में आया हूँ।।


सोचा था न जो कभी,

वो चीजें कर पाया हूँ,

रात-दिन दोस्तों संग बतियाया हूँ,

जब से मैं निफ्ट में आया हूँ।।


आदर किया था जिन गुरुओं का कभी,

उनका ही अब मजाक बनाया हूँ।

कक्षा में पीछे बैठ-बैठ कर,

अपना असमान्य ज्ञान बढाया हूँ।

जबसे मैं निफ्ट में आया हूँ।।


कभी जो बैठता था पढने कभी,

ख़त्म हो जाती थी किताब पूरी।

अब तो पन्नों से किताब बनाया हूँ,

और उन्हें ही पढ़ सारे उत्तर दे आया हूँ।

जबसे मैं निफ्ट में आया हूँ।।


इससे अच्छा मैं यहाँ न होता,

इधर उधर कहीं पढ़ रहा होता,

तब ये माहौल न होता ,

मेरा ये बुरा हाल न होता।।


लेकिन,

इनके बावजूद यहाँ बहुत पाया हूँ।

दोस्तों के हमेशा काम आया हूँ।

जिंदगी को जिन्दादिली सिखलाया हूँ।

अपनी सोच बढाया हूँ।

क्योंकि मैं निफ्ट में आया हूँ॥

मोहलत

डूब के तेरी आँखों में जिंदगी को पार कर लूँ,

ऐ नाजनीन तू दे इतनी मोहलत मैं तुझसे प्यार कर लूँ।

आ मिल जा मुझसे

हालात जो हैं मेरे दिल के,
कैसे करूँ बयां वो तुमसे।


कुछ कहने से पहले मैं चुप हो जाता हूँ,
अपनी बातें भूल तुझमें गुम हो जाता हूँ।

होने पर तेरे, दिल मेरा सुकून पाता है,
जाने पर तेरे, ये आहें भरता है।
तेरे मुस्कुराने से गुल में बहार आती है
खूसबू से तेरी दुनिया महक उठती है।


सूरत को तेरे मेरा मन चाँद कहता है
उसकी चांदनी की आगोश में ये तृप्त रहता है।

बालें अपनी सहलाकर तू अरमान नए जगाती है।
नजरें झुकाकर , शरमाकर मुझको दीवाना कर जाती है।


कितनी फरियाद करूँ मैं अब तुमसे,
आकर मिल जा तू अब मुझसे।
कैसे कहूँ कितना प्यार है तुमसे,
अब हर पल तेरा इंतजार है मन से॥


Tuesday, September 2

जीने का फलसफा

धड़कते दिल का हाल पूछो,
तड़पते मन का एहसास जानो,
अरमान जो हैं तेरे दिल में,
उनको पूरा करने की तरकीब निकालो।

Tharoor in a pseudo intellectual role till 2019

Mr Tharoor is a learned person...represented India in the UN ...lost the race to be its secretary general not because he was less competen...